पार्लियामेन्ट का, पार्लियामेन्ट द्वारा किया हुआ या बनाया हुआ
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पार्लियामेन्ट में आता है, वह पार्लियामेन्ट का अपने मुताबिक ही जोर-जबरदस्ती
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भारत की पार्लियामेन्ट का क्या स्वरूप हो, यह प्रश्न भी महत्वपूर्ण है।
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संसद में पढ़ भी पाएंगे-“ पार्लियामेन्ट का काम इतना सरल होना चाहिये कि दिन-ब-दिन
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केन्द्र / प्रदेश सरकार और कानून बनाने वाली पार्लियामेन्ट का कोई मतलब नहीं है उनके लि ए.
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उस पार्लियामेन्ट का काम इतना सरल होना चाहिये कि दिन ब दिन उसका तेज बढ़ता जाय और लोगों पर उसका असर होता जाय।
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क्योंकि पीएसी पार्लियामेन्ट का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए उसकी रिपोर्ट पर सरकार के संबंधित विभाग को छह महीने के अंदर कार्रवाई की सूचना संसद को देनी होती है.
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यह अंश क्या प्रधानमंत्री संसद में पढ़ भी पाएंगे-“ पार्लियामेन्ट का काम इतना सरल होना चाहिये कि दिन-ब-दिन उसका तेज बढ़ता जाय और लोगों पर उसका असर होता जा य.
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एक तरफ तो दोहरी शहरीयत वाला इस मुल्क में पार्लियामेन्ट का मेम्बर बनने का अहल नहीं लेकिन दूसरी जानिब दोहरी शहरियत वाला दूसरे मुल्क में बैठकर शहर बंद भी करवा सकता है तो खुलवा भी सकता है।